Indian Stories allows you to read and review the write-ups/poems by popular writers/poets. Today’s content is written by Kajal Dwivedi Kaumudi.
Who is Kajal Dwivedi Kaumudi?
प्रयागराज की काजल द्विवेदी “कौमुदी” ( जन्म – 05 दिसम्बर, 1998 / शिक्षा – डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)
इनके पिताजी का नाम श्री संदीप कुमार द्विवेदी है और माताजी का नाम श्रीमती किरन द्विवेदी है |
बचपन से ही कविताएँ/कहानियाँ लिखने में इनकी रूचि रही है |
“समुद्र-मंथन” ( SGSH Publication द्वारा प्रकाशित) इनकी पहली किताब है | इसके अलावा ये विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी लिखती हैं |
आप इनकी रचनाएँ इनके इंस्टाग्राम अकाउंट @kaumudi5555 पर पढ़ सकते हैं |
एक प्रेम ऐसा भी by काजल द्विवेदी “कौमुदी”
सूरज की लाली खिड़की के झरोखों से रौशनी बन बिखरने लगी थी, कलियाँ पंखुड़ियों को खोलकर मुस्कुराने लगी थीं, पंछियों का झुंड खुश हो चहचहा रहा था और प्रकृति मानो तरंगित हो लहरदार हो उठी थी |
घंटियों के शोर और धूप की महक फैली हुई थी | चौबे जी के घर पर सुबह की मनोहारी भजन धुन बज रही थी….. तुने अजब रचा भगवान खिलौना माटी का…….!
पीले सूट में पूजा करती वह ; होंठो पर गुलाबी लिपस्टिक, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, लम्बे-घने और कमर तक लहराते केश, हाथों में पीली चूड़ियाँ और नाखूनों पर गुलाबी नेलपॉलिश लगाए हुए | इस सरल, परंतु अनुपम सौंदर्य की स्वामिनी का नाम था – पायल |
“पापा! प्रसाद”, पायल पूजा की थाली लिए अपने पिताजी को भगवान का प्रसाद देने के लिए खड़ी थी |
शहर के सबसे बड़े वकील सुरेश चौबे की इकलौती बेटी पायल | माँ सुगंधा की लाडली, भारतीय संस्कारों से सजी लेकिन आधुनिकता का सबसे सभ्य रूप लिए हुए | पढ़ाई-लिखाई से लेकर गृहकार्य तक सबमें निपुण |
सुरेश और सुगंधा जी को बहुत गर्व था अपनी लाडली बेटी पर | हो भी क्यों ना! अपने नाम की तरह ही एक प्यारी-सी छनक थी उसके कामों में | हर किसी का दिल झट से जीत लेती थी |
“ला बेटा भगवान का आशीर्वाद, तेरे जैसी बेटी को पाकर तो जीवन ही संवर गया “, सुरेश जी ने प्रसाद लेकर उसे माथे से लगाया और फिर ग्रहण किया |
टेलीफोन की घंटी बजती है | सुगंधा जी फोन उठाती हैं | थोड़ी देर बात करके फोन रख देती हैं |
” एजी सुनते हैं! महेंद्र जी का फोन था , अपने बेटे विराट के लिए पायल की शादी कराने की इच्छा जाहिर किए हैं “, सुगंधा जी बहुत खुश थीं |
“अरे! सुबह-सुबह इतनी बड़ी खुशखबरी पायल की माँ, महेंद्र और मैं बचपन के दोस्त हैं, अब ये दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी “, सुरेश जी बोले |
पायल ये सब सुनकर कमरे में जाने लगी |
” अरे, अरे! शरमा गई “, सुगंधा जी हँसते हुए बोली |
पायल ने कमरे में घुसते ही गेट बंद कर लिया और चुपचाप बेड पर बैठ गई | उसकी आँखों में कोई खुशी नहीं थी | अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी वह | जानती थी, बहुत सपने देखे हैं उन्होंने उसकी शादी के लिए | लेकिन वह तो किसी और से प्यार करती थी | और विराट वह तो ना जाने कब से पायल को चाहता है | सबकुछ जानते हुए भी वह कभी विराट को प्रेमी की जगह नहीं दे पाई | उसके हृदय में तो विवेक था | उसे लगा था कि एक बार विवेक की नौकरी लग जाए फिर वह बता देगी घर पर | लेकिन, एक तरफ माता-पिता के सपने और दूसरी तरफ प्यार | पायल जमीन पर बैठ गई और फूट-फूटकर रोने लगी | जीवनसाथी के रूप में विवेक को पाने का उसका सुनहरा स्वप्न टूटता हुआ नज़र आने लगा उसे |
उसके फोन की रिंगटोन बजने लगती है | विवेक का फोन था |
“हैलो! विवेक…… “, पायल का गला रूंध गया, वह चाहकर भी कुछ बोल ना पाई और सुबकने लगी |
“क्या हुआ पायल? तुम रो क्यूँ रही हो? “, विवेक परेशान हो गया |
पायल ने फोन रख दिया और लेट गई | थोड़ी देर बाद उसने खुद को स्थिर किया और फोन लगाया विराट को |
रात हुई, सितारें चमकें और पायल को इंतज़ार था दूसरे दिन का |
दूसरे दिन वह उठी नीले रंग की सितारों वाली साड़ी पहनकर तैयार हुई | उसे यह साड़ी विवेक ने गिफ्ट किया था |
आठ बज चुके थें | घर के बाहर गाड़ी का हॉर्न बजा | पायल की प्रतीक्षा खत्म हुई | उसने दौड़कर गेट खोला | गाड़ी में से विराट उतरा और साथ में विवेक भी |
विराट आया था पायल के लिए विवेक का रिश्ता लेकर |
“पापा, आप तो जानते हैं कि विवाह दो दिलों का बंधन है और पायल की खुशी विवेक के साथ है | पायल मेरा भी प्यार है, लेकिन जब कल उसने मुझे अपने और विवेक के बारे में बताया तो मुझे यही लगा कि मैं इन दोनों को अलग करके अगर पायल को हासिल कर भी लूं तो कभी खुश नहीं रह पाऊंगा | वह आपके सपनों को देखकर कुछ कह नहीं पा रही थी | उसने मुझे सब बताया | सच अंकल, पायल की शादी मुझसे होती तो मैं बहुत खुश होता, लेकिन उसकी और विवेक की शादी होगी तो मैं बेहद खुश होऊंगा | “, विराट की आँखें नम हो उठी |
“अरे बेटा, हमें कोई दिक्कत नहीं है, इस पगली ने मुझे बताया ही नहीं विवेक के बारे में “, पायल के पापा सहर्ष इस रिश्ते के लिए मान गए | अपनी इकलौती बेटी की खुशी से ज्यादा उनके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता था |
विराट ने पायल का हाथ पकड़ कर विवेक के हाथों में दे दिया | आज प्रकृति साक्षी थी विराट के सच्चे प्यार की | ऐसा प्यार जो पाने से ज्यादा देने में विश्वास रखता था | जिसे त्याग के बदले कुछ हासिल नहीं होने वाला था, फिर भी उसने अपनी खुशी से ज्यादा अपने प्रिय की खुशी को प्राथमिकता दिया |
“किसी को हासिल करने के लिए प्यार किया तो क्या किया!
मज़ा तो तब है, जब वो हासिल भी ना हो और इश्क़ भी हो बेशुमार |”
– © काजल द्विवेदी “कौमुदी”